
मैं और मेरी शायरी
मुझे अपनी खता मालूम नहीं
पर तेरी खता पर हैराँ हूँ
तकदीर के हाथों बेबस हूँ
अफ़सोस है फिर भी तेरा हूँ
दीपक शर्मा कुल्लुवी
۰۹۱۳۶۲۱۱۴۸۶
من اور مری شیاری
مژه اپنی خطا معلوم نهن
پر تری خطا پر هران هون
تقدیر که هاتهون ببس هون
افسوس های فر بهی ترا هون
داپاک شارما کوللووی
۰۹۱۳۶۲۱۱۴۸۶
۲۹-۰۷-۲۰۱۰.
मैं और मेरी शायरी
ReplyDeletemeri dost ki taraf se ek msg :
ReplyDeleteमाफ़ी चाहूंगी आप के ब्लॉग मे आप की रचनाओ के लिए नहीं अपने लिए सहयोग के लिए आई हूँ | मैं जागरण जगंशन मे लिखती हूँ | वहाँ से किसी ने मेरी रचना चुरा के अपने ब्लॉग मे पोस्ट किया है और वहाँ आप का कमेन्ट भी पढ़ा |मैंने उन महाशय के ब्लॉग मे कमेन्ट तो किया है मगर वो जब चोरी कर सकते है तो कमेन्ट को भी डिलीट कर सकते है |मेरा मकसद सिर्फ उस चोर के चेहरे से नकाब उठाने का है | आप से सहयोग की उम्मीद है | लिंक दे रही हूँ अपना भी और उन चोर महाशय का भी
http://div81.jagranjunction.com/author/div81/page/4/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.in/2011/03/blog-post_557.html
it is really very sad madam,don't know why people do it
ReplyDeletedeepak kuluvi