Monday 19 July 2010

मेरे कांगड़ी शेर अडिए अडिए तेरियां अक्खां च जग्ग वस्सदा मिंजो भी बसाई लै अडिए जादा वड्डा ना भी सहीदुहं कमरेयां दा सैट दुआई दे अडिए दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'09136211486दुध्धे ते चिट्टा रंग तेरातौये ते काले बालपोडर थप्पेया बट्टी बट्टी हेयर डाइये दा है एह कमाल दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी

आपसे दीदार की
ऐसी सजा मिली
कल तक जो मेरे साथ था
दिल मेरा खो गया

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी


सब कहते 'दीपक कुल्लुवी' को
लिखना नहीं आता
हाल-ऐ-दिल अपना चाहकर भी
कहाँ कोई लिख पाता


दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

मेरी शेर-ओ-शायरी
किस किसको रखते साथ हम अपनें
किसको छोड़ देते
हम टूट गए खुद-व-खुद
दिल अपनों का कैसे तोड़ देते
मेरी शेर-ओ-शायरी

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी

आज नहीं तो कल
याद आएगी ज़रूर
हमनें भी तो दर्द-ऐ-जिगर
उम्र भर ही सहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

मेरी शेर-ओ-शायरी


ग़म नहीं है इसका
मेरा लुट गया आशियाँ
अनके पास भी तो अपना
कहने को कोई ना रहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

मेरी शेर-ओ-शायरी


इतनी भी नहीं पी की तुम्हें
भूल पाते हम
इतने भी नहीं होश में
की याद रख पाते

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी


रफ्ता रफ्ता ज़िन्दगी यह
खाक होती जा रही
ऐसी हालत में भी ऐ-ग़म
याद तेरी आ रही
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

मेरी शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी गुजर गई
यादें ना गई भुलाई
ना जानें आज क्या बात थी
जो याद बहुत आई


दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486















Wednesday 14 July 2010

نادان
दिल-ए-नादाँ

हम थे नादाँ सारी दुनिया को समझाने निकले
रिश्ते जो टूट रहे उनको बचाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को --------
दर्द कुच्छ ऐसे भी होते जो अपने होते
ख्वाव दुनिया में कहां सबके पूरे होते
बेवफाओं को दास्ताँ हम सुनाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------
यादो के खंजर तो होते गहरे
यह तो जाने वही जिसने झेले
मेरे अपने तो मुझको ही जलाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को-------
'दीपक कुल्लुवी' कि ग़ज़ल तेरी ही कहानी है
दिल-ए-नादाँ को मिली तेरी ही निशानी है
ज़ख्म-ए-दिल आपको ही दिखाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------

दीपक शर्मा कुल्लुवी

داپاک شارما کوللووی

09136211486
نادان
दिल-ए-नादाँ

हम थे नादाँ सारी दुनिया को समझाने निकले
रिश्ते जो टूट रहे उनको बचाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को --------
दर्द कुच्छ ऐसे भी होते जो अपने होते
ख्वाव दुनिया में कहां सबके पूरे होते
बेवफाओं को दास्ताँ हम सुनाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------
यादो के खंजर तो होते गहरे
यह तो जाने वही जिसने झेले
मेरे अपने तो मुझको ही जलाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को-------
'दीपक कुल्लुवी' कि ग़ज़ल तेरी ही कहानी है
दिल-ए-नादाँ को मिली तेरी ही निशानी है
ज़ख्म-ए-दिल आपको ही दिखाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------

दीपक शर्मा कुल्लुवी

داپاک شارما کوللووی

09136211486
नां पूछ मुझसे मेरा
हाल-ऐ-दिल ऐ-दोस्त
हम तो हंसते रहेंगे
अश्क आपके ही छलक जाएँगे

दीपक शर्मा कुल्लुवी
داور
नाज़ुक दौर
हमनें जो भी लिखा
वोह गुनाह हो गया
वक़्त को यह आज
क्या हो गया
दिखाया जिस किसी को हमनें
हकीकत का आइना
वोह हर शख्स मुझसे ही
खफा हो गया
मुहब्बत रही ना आज
दुनिया की झोली में
नफरत दिखाई देती है
हर शख्स की खोली में
वारदात ज़ुल्म-ओ-क़त्ल की
आज आम हो गई
मेरे वतन को यह आज
क्या हो गया
किस किस को सुनाओगे
दास्तान अब हालात की
हर शख्स इसमें ही जीने का
आदी सा हो गया
मुहब्बत-ओ-वफ़ा की बातें तो
अब इतिहास बन चुकी
अब तो कमबख्त दिल भी
बेवफा सा हो गया
बेवफा सा हो गया


दीपक शर्मा कुल्लुवी

०९१३६२११४८६,०११-30882881
کهن جانگه

कहाँ जाएँगे

कश्ती मंझधार में है बचकर कहाँ जाएंगे
अब तो लगता है ऐ-दिल डूब जाएँगे
कोई आएगा बचाने ऐसा अब दौर कहाँ
अब तो चाहकर भी साहिल पे ना आ पाएँगे
हमनें सोचा था संवर जाएगी हस्ती अपनी
उनके दिल में ही बसा लेंगे बस्ती अपनी
इस भंवर में पहुँचाया हमें अपनों ने ही
अब इस तूफां से क्या खाक बच पाएँगे
अपनी बेबसी पे ऐ-कुल्लुवी क्या बहाएँ आंसू
वक़्त जो बच गया अब उसको कैसे काटूं
चंद लम्हों में यह 'दीपक' भी बुझ जाएगा
हम भी घुट घुट कर ऐ-दिल मर जाएंगे

दीपक शर्मा कुल्लुवी'
داپاک شارما کوللووی
०९१३६२११४८६,३०८८२८८१
अफ़सोस

किनारों पे चलाना मुमकिन नहीं था
डूब जाएंगे हम यह डर था हमें
खुद हमनें किनारों पे मारी थी ठोकर
आज तलक रास्ता मिला ना हमें
हम अपनीं तवाही के कसूरबार खुद हैं
संभल ही सके ना यह ग़म है हमें
यादों के नश्तर तीखे बहुत हें
यह अपनें ही ग़म हैं मंज़ूर है हमें
देखते हैं आइना जब फुर्सत में हम
सोचते हैं अक्सर हुआ क्या हमें
जलाते रहो यूँ भी 'दीपक' हैं हम
और आपकी फ़ितरत का ईल्म है हमें

दीपक शर्मा कुल्लुवी

09136211486
शर्मसार

वाह रे भईया शमीम
हर दी हरकत कमीन
कहने को हो आई.ए.एस
ममता की तूने की तोहीन
मेरी हालत ठीक जो होती
तुम्हारी माँ का बेटा बन जाता
सर आँखों पे उसको बिठाता
और बेटे का फर्ज़ निभाता
कोन कहता आई.ए.एस बनने से
आदमी इन्सान बन जाता है
नीयत में हो खोट तो है
वोह हैवान बन जाता है
माँ को पीटते शर्म ना आई
कहाँ से की है ऐसी पढाई
महाघोर कलयुग आ चुका शायद
तभी तो अक्कल पर बदली छायी
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486


न्यूज़:दिल्ली में शमीम नमक आई.ए.एस ऑफिसर ने अपनी बूढी माँ की पिटाई की १०-०७-२०१०.को





दिल-ए-नादाँ

हम थे नादाँ सारी दुनिया को समझाने निकले
रिश्ते जो टूट रहे उनको बचाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को --------
दर्द कुच्छ ऐसे भी होते जो अपने होते
ख्वाव दुनिया में कहां सबके पूरे होते
बेवफाओं को दास्ताँ हम सुनाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------
यादो के खंजर तो होते गहरे
यह तो जाने वही जिसने झेले
मेरे अपने तो मुझको ही जलाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को-------
'दीपक कुल्लुवी' कि ग़ज़ल तेरी ही कहानी है
दिल-ए-नादाँ को मिली तेरी ही निशानी है
ज़ख्म-ए-दिल आपको ही दिखाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------

दीपक शर्मा कुल्लुवी

داپاک شارما کوللووی

09136211486