आपकी यादों का खज़ाना लिए
इक रोज़ चले जाएँगे हम
याद तो करोगे ज़रूर
पर कहाँ आ पाएँगे हम
दीपक कुलुवी
दो कतरा-ए-शराब पास न होती
तो क़यामत होती
तमाम रात बीत जाती
तेरी याद ही न जाती
DEEPAK KI KALAM SE
کارنگه ना करेंगे हम दर्द अपना बाँट कर कुच्छ कम ना करेंगे जो लिखा है किस्मत में उसका ग़म ना करेंगे मिट जाएँगे हंसते हुए यह जानते हैं हम बेरुखी पे आपकी शिकवा ना करेंगे आपको भी याद तो आएगी एक दिन जब ना लगेगा दिल आपका 'दीपक कुल्लुवी' के बिन आपको हो ना हो कोई ग़म नहीं हम तो आपकी मुहब्बत पे एतवार करेंगे दीपक शर्मा कुल्लुवी داپاک شارما کوللووی ०९१३६२११४८६
Wednesday, 1 September 2010
Tuesday, 10 August 2010
मैं और मेरी शायरी
कातिल हैं
قتل حین
कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म---
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
دیپاک شارما کوللووی
कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म---
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
دیپاک شارما کوللووی
प्राकृति से खिलवाड़
प्राकृति से खिलवाड़ होगा तो प्राकृतिक आपदा आएगी ही I
कहीं बाढ़ कहीं आग कहीं सूखे की मार कहीं बादल फटने की घटनाएँ कहीं भूकंप आज एक आम सी बात हो गई है I कारण केवल एक ही है प्राकृति से खिलवाड़ I पहाड़ों जंगलों खेत खलिहानों को काट काटकर बड़े बड़े भवन,होटल बन गए I भूमाफिया जंगल माफिया राज कर रहे हैं I गरीब लोग परेशान हैं I वृक्ष कटते जा रहे हैं I धीरे धीरे हम प्रलय की और जाते जा रहे हैं I समय रहते हम लोगों में जागरूकता नहीं आई तो वो दिन दूर नहीं जब इस धरा का नामो निशान मिट जाएगा I नाँ हम होंगे ना कोई हमारा नाम लेने वाला I हम सबको दिमाग से काम लेना चाहिए भूमि कटाव कम करें ,जगह जगह वृक्ष लगाएँ I हम प्राकृति का सम्मान करेंगे तभी प्राकृति हमारा साथ देगी अन्यथा हमें तहस नहस कर देगी I
दीपक शर्मा कुल्लुवी
दीपक साहित्य सदन शमशी
कुल्लू हिमाचल प्रदेश 175126
09136211486
प्राकृति से खिलवाड़ होगा तो प्राकृतिक आपदा आएगी ही I
कहीं बाढ़ कहीं आग कहीं सूखे की मार कहीं बादल फटने की घटनाएँ कहीं भूकंप आज एक आम सी बात हो गई है I कारण केवल एक ही है प्राकृति से खिलवाड़ I पहाड़ों जंगलों खेत खलिहानों को काट काटकर बड़े बड़े भवन,होटल बन गए I भूमाफिया जंगल माफिया राज कर रहे हैं I गरीब लोग परेशान हैं I वृक्ष कटते जा रहे हैं I धीरे धीरे हम प्रलय की और जाते जा रहे हैं I समय रहते हम लोगों में जागरूकता नहीं आई तो वो दिन दूर नहीं जब इस धरा का नामो निशान मिट जाएगा I नाँ हम होंगे ना कोई हमारा नाम लेने वाला I हम सबको दिमाग से काम लेना चाहिए भूमि कटाव कम करें ,जगह जगह वृक्ष लगाएँ I हम प्राकृति का सम्मान करेंगे तभी प्राकृति हमारा साथ देगी अन्यथा हमें तहस नहस कर देगी I
दीपक शर्मा कुल्लुवी
दीपक साहित्य सदन शमशी
कुल्लू हिमाचल प्रदेश 175126
09136211486
Monday, 19 July 2010
मेरी शेर-ओ-शायरी
आपसे दीदार की
ऐसी सजा मिली
कल तक जो मेरे साथ था
दिल मेरा खो गया
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
आपसे दीदार की
ऐसी सजा मिली
कल तक जो मेरे साथ था
दिल मेरा खो गया
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
सब कहते 'दीपक कुल्लुवी' को
लिखना नहीं आता
हाल-ऐ-दिल अपना चाहकर भी
कहाँ कोई लिख पाता
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
किस किसको रखते साथ हम अपनें
किसको छोड़ देते
हम टूट गए खुद-व-खुद
दिल अपनों का कैसे तोड़ देते
मेरी शेर-ओ-शायरी
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
आज नहीं तो कल
याद आएगी ज़रूर
हमनें भी तो दर्द-ऐ-जिगर
उम्र भर ही सहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
ग़म नहीं है इसका
मेरा लुट गया आशियाँ
अनके पास भी तो अपना
कहने को कोई ना रहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
इतनी भी नहीं पी की तुम्हें
भूल पाते हम
इतने भी नहीं होश में
की याद रख पाते
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
रफ्ता रफ्ता ज़िन्दगी यह
खाक होती जा रही
ऐसी हालत में भी ऐ-ग़म
याद तेरी आ रही
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
ज़िन्दगी गुजर गई
यादें ना गई भुलाई
ना जानें आज क्या बात थी
जो याद बहुत आई
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
सब कहते 'दीपक कुल्लुवी' को
लिखना नहीं आता
हाल-ऐ-दिल अपना चाहकर भी
कहाँ कोई लिख पाता
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
किस किसको रखते साथ हम अपनें
किसको छोड़ देते
हम टूट गए खुद-व-खुद
दिल अपनों का कैसे तोड़ देते
मेरी शेर-ओ-शायरी
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
आज नहीं तो कल
याद आएगी ज़रूर
हमनें भी तो दर्द-ऐ-जिगर
उम्र भर ही सहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
ग़म नहीं है इसका
मेरा लुट गया आशियाँ
अनके पास भी तो अपना
कहने को कोई ना रहा
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
इतनी भी नहीं पी की तुम्हें
भूल पाते हम
इतने भी नहीं होश में
की याद रख पाते
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
रफ्ता रफ्ता ज़िन्दगी यह
खाक होती जा रही
ऐसी हालत में भी ऐ-ग़म
याद तेरी आ रही
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
मेरी शेर-ओ-शायरी
ज़िन्दगी गुजर गई
यादें ना गई भुलाई
ना जानें आज क्या बात थी
जो याद बहुत आई
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
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