کارنگه ना करेंगे हम दर्द अपना बाँट कर कुच्छ कम ना करेंगे जो लिखा है किस्मत में उसका ग़म ना करेंगे मिट जाएँगे हंसते हुए यह जानते हैं हम बेरुखी पे आपकी शिकवा ना करेंगे आपको भी याद तो आएगी एक दिन जब ना लगेगा दिल आपका 'दीपक कुल्लुवी' के बिन आपको हो ना हो कोई ग़म नहीं हम तो आपकी मुहब्बत पे एतवार करेंगे दीपक शर्मा कुल्लुवी داپاک شارما کوللووی ०९१३६२११४८६
Wednesday 14 July 2010
दिल-ए-नादाँ
हम थे नादाँ सारी दुनिया को समझाने निकले
रिश्ते जो टूट रहे उनको बचाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को --------
दर्द कुच्छ ऐसे भी होते जो अपने होते
ख्वाव दुनिया में कहां सबके पूरे होते
बेवफाओं को दास्ताँ हम सुनाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------
यादो के खंजर तो होते गहरे
यह तो जाने वही जिसने झेले
मेरे अपने तो मुझको ही जलाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को-------
'दीपक कुल्लुवी' कि ग़ज़ल तेरी ही कहानी है
दिल-ए-नादाँ को मिली तेरी ही निशानी है
ज़ख्म-ए-दिल आपको ही दिखाने निकले
हम थे नादाँ सारी दुनिया को------
दीपक शर्मा कुल्लुवी
داپاک شارما کوللووی
09136211486
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment